Showing posts with label Feature. Show all posts
Showing posts with label Feature. Show all posts

Monday 1 July 2013

फीचर

फीचर को अंग्रेजी शब्द फीचर के पर्याय के तौर पर फीचर कहा जाता है। हिन्दी में फीचर के लिये रुपक शब्द का प्रयोग किया जाता है लेकिन फीचर के लिये हिन्दी में प्रायः फीचर शब्द का ही प्रयोग होता है। फीचर का सामान्य अर्थ होता है – किसी प्रकरण संबंधी विषय पर प्रकाशित आलेख है। लेकिन यह लेख संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित होने वाले विवेचनात्मक लेखों की तरह समीक्षात्मक लेख नही होता है।

फीचर समाचार पत्रों में प्रकाशित होने वाली किसी विशेष घटना, व्यक्ति, जीव – जन्तु, तीज – त्योहार, दिन, स्थान, प्रकृति – परिवेश से संबंधित व्यक्तिगत अनुभूतियों पर आधारित वह विशिष्ट आलेख होता है जो कल्पनाशीलता और सृजनात्मक कौशल के साथ मनोरंजक और आकर्षक शैली में प्रस्तुत किया जाता है। अर्थात फीचर किसी रोचक विषय पर मनोरंजक ढंग से लिखा गया विशिष्ट आलेख होता है।

फीचर के प्रकार

·          व्यक्तिपरक फीचर
·          सूचनात्मक फीचर
·          विवरणात्मक फीचर
·          विश्लेषणात्मक फीचर
·          साक्षात्कार फीचर
·          इनडेप्थ फीचर
·          विज्ञापन फीचर
·          अन्य फीचर

फीचर की विशेषतायें

·         किसी घटना की सत्यता या तथ्यता फीचर का मुख्य तत्व होता है। एक अच्छे फीचर को किसी सत्यता या तथ्यता पर आधारित होना चाहिये।
·         फीचर का विषय समसामयिक होना चाहिये।
·         फीचर का विषय रोचक होना चाहिये या फीचर को किसी घटना के दिलचस्प पहलुओं पर आधारित होना चाहिये।
·         फीचर को शुरु से लेकर अंत तक मनोरंजक शैली में लिखा जाना चाहिये।
·         फीचर को ज्ञानवर्धक, उत्तेजक और परिवर्तनसूचक होना चाहिये।
·         फीचर को किसी विषय से संबंधित लेखक की निजी अनुभवों की अभिव्यक्ति होनी चाहिये।
·         फीचर लेखक किसी घटना की सत्यता या तथ्यता को अपनी कल्पना का पुट देकर फीचर में तब्दील करता है।
·         फीचर को सीधा सपाट न होकर चित्रात्मक होना चाहिये।
·         फीचर कीभाषा सरल, सहज और स्पष्ट होने के साथ – साथ कलात्मक और बिंबात्मक होनी चाहिये।

फीचर लेखन की प्रक्रिया

·         विषय का चयन
·         सामग्री का संकलन
·         फीचर योजना

विषय का चयन

किसी भी फीचर की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह कितना रोचक, ज्ञानवर्धक और उत्प्रेरित करने वाला है। इसलिये फीचर का विषय समयानुकूल, प्रासंगिक और समसामयिक होना चाहिये। अर्थात फीचर का विषय ऐसा होना चाहिये जो लोक रुचि का हो, लोक – मानव को छुए, पाठकों में जिज्ञासा जगाये और कोई नई जानकारी दे।

सामग्री का संकलन

फीचर का विषय तय करने के बाद दूसरा महत्वपूर्ण चरण है विषय संबंधी सामग्री का संकलन। उचित जानकारी और अनुभव के अभाव में किसी विषय पर लिखा गया फीचर उबाऊ हो सकता है। विषय से संबंधित उपलब्ध पुस्तकों, पत्र – पत्रिकाओं से सामग्री जुटाने के अलावा फीचर लेखक को बहुत सामग्री लोगों से मिलकर, कई स्थानों में जाकर जुटानी पड़ सकती है।

फीचर योजना

फीचर से संबंधित पर्याप्त जानकारी जुटा लेने के बाद फीचर लेखक को फीचर लिखने से पहले फीचर का एक योजनाबद्ध खाका बनाना चाहिये।

फीचर लेखन की संरचना

·         विषय प्रतिपादन या भूमिका
·         विषय वस्तु की व्याख्या
·         निष्कर्ष

विषय प्रतिपादन या भूमिका

फीचर लेखन की संरचना के इस भाग में फीचर के मुख्य भाग में व्याख्यायित करने वाले विषय का संक्षिप्त परिचय या सार दिया जाता है। इस संक्षिप्त परिचय या सार की कई प्रकार से शुरुआत की जा सकती है। किसी प्रसिद्ध कहावत या उक्ति के साथ, विषय के केन्द्रीय पहलू का चित्रात्मक वर्णन करके, घटना की नाटकीय प्रस्तुति करके, विषय से संबंधित कुछ रोचक सवाल पूछकर।  मिका का आरेभ किसी भी प्रकार से किया जाये इसकी शैली रोचक होनी चाहिये मुख्य विष्य का परिचय इस तरह देना चाहिये कि वह पूर्ण भी लगे लेकिन उसमें ऐसा कुछ छूट जाये जिसे जानने के लिये पाठक पूरा फीचर पढ़ने को बाध्य हो जाये।

विषय वस्तु की व्याख्या

फीचर की भूमिका के बाद फीचर के विषय या मूल संवेदना की व्याख्या की जाती है। इस चरण में फीचर के मुख्य विषय के सभी पहलुओं को अलग – अलग व्याख्यायित किया जाना चाहिये। लेकिन सभी पहलुओं की प्रस्तुति में एक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष क्रमबद्धता होनी चाहिये। फीचर को दिलचस्प बनाने के लिये फीचर में मार्मिकता, कलात्मकता, जिज्ञासा, विश्वसनीयता, उत्तेजना, नाटकीयता आदि का समावेश करना चाहिये।

निष्कर्ष

फीचर संरचना के इस चरण में व्याख्यायित मुख्य विषय की समीक्षा की जाती है। इस भाग में फीचर लेखक अपने ऴिषय को संक्षिप्त रुप में प्रस्तुत कर पाठकों की समस्त जिज्ञासाओं को समाप्त करते हुये फीचर को समाप्त करता है। साथ ही वह कुछ सवालों को पाठकों के लिये अनुत्तरित भी छोड़ सकता है। और कुछ नये विचार सूत्र पाठकों से सामने रख सकता है जिससे पाठक उन पर विचार करने को बाध्य हो सके।

फीचर संरचना से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण पहलू

शीर्षक

किसी रचना का यह एक जरुरी हिस्सा होता है और यह उसकी मूल संवेदना या उसके मूल विषय का बोध कराता है। फीचर का शीर्षक मनोरंजक और कलात्मक होना चाहिये जिससे वह पाठकों में रोचकता उत्पन्न कर सके।

छायाचित्र

छायाचित्र होने से फीचर की प्रस्तुति कलात्मक हो जाती है जिसका पाठक पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। विषय से संबंधित छायाचित्र देने से विषय और भी मुखर हो उठता है। साथ ही छायाचित्र ऐसा होना चाहिये जो फीचर के विषय को मुखरित करे फीचर को कलात्मक और रोचक बनाये तथा पाठक के भीतर विषय की प्रस्तुति के प्रति विश्वसनीयता बनाये।

Sunday 30 June 2013

संचार

संचार एक तकनीकी शब्द है जो अंग्रेजी के कम्यूनिकेशन का हिन्दी रूपांतरण है। इसका अर्थ होता है, किसी सूचना या जानकारी को दूसरों तक पहुंचाना। इसके माध्यम से मनुष्य के सामाजिक संबंध बनते और विकसित होते हैं। मानवीय समाज की समस्त प्रक्रिया संचार पर आधारित है। इसके बिना मानव नहीं रह सकता। प्रत्येक मनुष्य अपनी जाग्रतावस्था में संचार करता है अर्थात बोलने सुनने सोचने देखने पढ़ने लिखने या विचार विमर्श में अपना समय लगाता है। जब मनुष्य अपने हाव भाव संकेतों और वाणी के माध्यम से सूचनाओं का आदान प्रदान करता है तो वह संचार कहलाता है।

संचार की परिभाषा

· संकेतों द्वारा होने वाला संप्रेषण संचार है – लुडबर्ग
· मनुष्य के कार्यक्षेत्र विचारों व भावनाओं के प्रसारण व आदान प्रदान की प्रक्रिया संचार है - लीलैंड ब्राउन
· संचार एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को भेजे गये संदेश के संप्रेषण की प्रक्रिया है - डैनिस मैक कवैल
· संचार समानुभूति का विनिमय है – कौफीन और शाँ
· संचार वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा सूचना व संदेश एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचे – थीयो हैमान

संचार प्रक्रिया

संचार प्रक्रिया में संदेश भेजने वाला प्रेषक कहलाता है और संदेश प्राप्त करने वाला प्राप्तकर्ता। दोनों के बीच एक माध्यम होता है जिसके सहयोग से प्रेषक का संदेश प्राप्तकर्ता के पास पहुंचता है। प्राप्तकर्ता के दिल दिमाग पर प्रभाव डालता है जिससे सामाजिक सरोकारों में बदलाव आता है। देश तथा विदेश में मनुष्य की दस्तकें बढ़ती है इसलिये संचार प्रक्रिया का पहला चरण प्रेषक होता है। इसे इनकोडिंग भी कहते है । इनकोडिंग के बाद विचार सार्थक संदेश के रूप में ढल जाता है। जब प्राप्तकर्ता अपने मस्तिक में उक्त संदेश को ढाल लेता है तो संचार की भाषा में डीकोडिंग कहतें हैं। डीकोडिंग के बाद प्राप्तकर्ता उस संदेश का अर्थ समझता है। वह अपनी प्रतिक्रिया प्रेषक को भेजता है। तो उस प्रक्रिया को फीडबैक कहतें हैं।

संचार के कार्य

संचार प्रक्रिया निम्नलिखित कार्यों को संपंन करती है –
· सूचना या जानकारी देना ।
· संचार से जुड़े व्यक्तियों को प्रेरित और प्रभावित करना।
· संचार व्यक्तियों समाजों और देशों के बीच संबंध स्थापित करता है।
· संचार विभिन्न तथ्यों विचारों मसलों पर व्यापक विचार विमर्श करने में सहायक होता है।
· मनुष्यों का मनोरंजन करना संचार का एक महत्वपूर्ण कार्य है।
· संचार राष्ट्र की आर्थिक व औद्योगिक उन्नति में सहायक होता है।

संचार के प्रकार: 

अंत:व्यक्तिक संचार

यह एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसकी परिधि में स्वंय व्यक्ति होता है। मनुष्य अपने अनुभवों घटनाओं व्यक्तियों प्रभावों एवं परिणामों का आकलन करता है। संदेश प्राप्त करने वाला और संदेश भेजने वाला स्वंय ही होता है। आत्मक विश्लेषण आत्मविवेचन आत्मप्रेरणा आदि इसी प्रकार के संचार कहलाते हैं। अर्थात दूसरे शब्दों में कह सकते है जब एक व्यक्ति अकेला अपने आप से बात करता है तो उसे स्वगत संचार कहा जाता है। क्योंकि वह स्वयं से ही संचार करता है।

अंतरवैयक्तिक संचार

जब व्यक्ति एक दूसरे बातचीत करता है तो उसे अंतरवैयक्तिक संचार कहते हैं। बातचीत सामने बैठकर टेलीफोन मोबाइल पेजर संगीत चित्र ड्रामा लोककला इत्यादि से हो सकती है। इस संचार प्रक्रिया में संदेशों का प्रेषण मौखिक भी हो सकता है और स्पर्श मुस्कुराहट आदि से भी। इसमें प्रतिपुष्टि तुरंत हो सकती है। संदेश प्रेषक और संदेश ग्राहक की निकटता इस प्रकार के संचार की सबसे बड़ी विशेषता मानी जाती है।
अंतरवैयक्तिक संचार दुतरफा प्रक्रिया है अर्थात स्त्रोता संदेश प्राप्त करते ही प्रतिक्रया देता है। यह संचार प्रक्रिया गतिशील होता है।

समूह संचार

जब व्यक्तियों का समूह आमने सामने बैठकर विचार विमर्श, विचार गोष्ठी वाद विवाद कार्य शिविर सार्वजनिक व्याख्यान इंटरव्यू आदि करता है तो उसे समूह संचार कहते है। यह बहुत प्रभावशाली होता है। क्योंकि इसमें वक्ता को अपने अपने क्षेत्र में अभिव्यक्ति का अवसर मिलता है। स्कूल कॉलेज प्रशिक्षण केन्द्र चौपाल रंगमंच कमेटी हॉल जैसे प्रमुख स्थानों पर संचार गतिशील होता । दूसरे शब्दों में समूह संचार उन व्यक्तियों के बीच संभव है जो किसी उद्देश्य के लिये अमुख स्थान पर एकत्र होते हैं।

जन संचार

जनसंचार का अर्थ विस्तृत आकार के बिखरे हुये समूह तक संचार माध्यमों द्वारा संदेश पहुंचाना है। पर इस प्रकार के संचार में भी किसी न किसी माध्यम की आवश्यकता होती है। रेडियो टेलीविजन टेपरिकार्डर फिल्म वीडियो कैसेट सीडी के अलावा समाचारपत्र पत्रिकायें पुस्तकें पोस्टर इत्यादि इसके माध्यम कहलाते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य बहुत विशाल है इसे किसी परिधि में रखना कठिन है। वर्तमान समाज में जनसंचार का कार्य सूचना प्रेषण विश्लेषण ज्ञान एवं मुल्यों का प्रसार तथा मनोरंजन करना है।

http://patrakaritaseekhen.blogspot.in/
ttp://asbmassindia.blogspot.in/