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Wednesday 25 December 2013

19वीं शताब्दी में प्रकाशित भारतीय समाचार पत्र

समाचार पत्रसंस्थापक/सम्पादकभाषाप्रकाशन स्थानवर्ष
अमृत बाज़ार पत्रिकामोतीलाल घोषबंगलाकलकत्ता1868 ई.
अमृत बाज़ार पत्रिकामोतीलाल घोषअंग्रेज़ीकलकत्ता1878 ई.
सोम प्रकाशईश्वरचन्द्र विद्यासागरबंगलाकलकत्ता1859 ई.
बंगवासीजोगिन्दर नाथ बोसबंगलाकलकत्ता1881 ई.
संजीवनीके.के. मित्राबंगलाकलकत्ता
हिन्दूवीर राघवाचारीअंग्रेज़ीमद्रास1878 ई.
केसरीबाल गंगाधर तिलकमराठीबम्बई1881 ई.
मराठाबाल गंगाधर तिलकअंग्रेज़ी--
हिन्दूएम.जी. रानाडेअंग्रेज़ीबम्बई1881 ई.
नेटिव ओपीनियनवी.एन. मांडलिकअंग्रेज़ीबम्बई1864 ई.
बंगालीसुरेन्द्रनाथ बनर्जीअंग्रेज़ीकलकत्ता1879 ई.
भारत मित्रबालमुकुन्द गुप्तहिन्दी--
हिन्दुस्तानमदन मोहन मालवीयहिन्दी--
हिन्द-ए-स्थानरामपाल सिंहहिन्दीकालाकांकर (उत्तर प्रदेश)-
बम्बई दर्पणबाल शास्त्रीमराठीबम्बई1832 ई.
कविवचन सुधाभारतेन्दु हरिश्चन्द्रहिन्दीउत्तर प्रदेश1867 ई.
हरिश्चन्द्र मैगजीनभारतेन्दु हरिश्चन्द्रहिन्दीउत्तर प्रदेश1872 ई.
हिन्दुस्तान स्टैंडर्डसच्चिदानन्द सिन्हाअंग्रेज़ी-1899 ई.
ज्ञान प्रदायिनीनवीन चन्द्र रायहिन्दी-1866 ई.
हिन्दी प्रदीपबालकृष्ण भट्टहिन्दीउत्तर प्रदेश1877 ई.
इंडियन रिव्यूजी.ए. नटेशनअंग्रेज़ीमद्रास-
मॉडर्न रिव्यूरामानन्द चटर्जीअंग्रेज़ीकलकत्ता-
यंग इंडियामहात्मा गाँधीअंग्रेज़ीअहमदाबाद8 अक्टूबर1919 ई.
नव जीवनमहात्मा गाँधीहिन्दीगुजरातीअहमदाबाद7 अक्टूबर, 1919 ई.
हरिजनमहात्मा गाँधीहिन्दी, गुजरातीपूना11 फ़रवरी1933 ई.
इनडिपेंडेसमोतीलाल नेहरूअंग्रेज़ी-1919 ई.
आजशिवप्रसाद गुप्तहिन्दी--
हिन्दुस्तान टाइम्सके.एम.पणिक्करअंग्रेज़ीदिल्ली1920 ई.
नेशनल हेराल्डजवाहरलाल नेहरूअंग्रेज़ीदिल्लीअगस्त1938 ई.
उद्दण्ड मार्तण्डजुगल किशोरहिन्दी (प्रथम)कानपुर1826 ई.
द ट्रिब्यूनसर दयाल सिंह मजीठियाअंग्रेज़ीचण्डीगढ़1877 ई.
अल हिलालअबुल कलाम आज़ादउर्दूकलकत्ता1912 ई.
अल बिलागअबुल कलाम आज़ादउर्दूकलकत्ता1913 ई.
कामरेडमौलाना मुहम्मद अलीअंग्रेज़ी--
हमदर्दमौलाना मुहम्मद अलीउर्दू--
प्रताप पत्रगणेश शंकर विद्यार्थीहिन्दीकानपुर1910 ई.
गदरग़दर पार्टी द्वाराउर्दू/गुरुमुखीसॉन फ़्रांसिस्को1913 ई.
गदरगदर पार्टी द्वारापंजाबी-1914 ई.
हिन्दू पैट्रियाटहरिश्चन्द्र मुखर्जीअंग्रेज़ी-1855 ई.
मद्रास स्टैंडर्ड, कॉमन वील, न्यू इंडियाएनी बेसेंटअंग्रेज़ी-1914 ई.
सोशलिस्टएस.ए.डांगेअंग्रेज़ी-1922 ई.

Monday 1 July 2013

भारतीय प्रेस परिषद्

भारतीय प्रेस परिषद (Press Council of India) एक संविघिक स्वायत्तशासी संगठन है जो प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करने व उसे बनाए रखने, जन अभिरूचि का उच्च मानक सुनिश्चित करने से और नागरिकों के अघिकारों व दायित्वों के प्रति उचित भावना उत्पन्न करने का दायित्व निबाहता है। सर्वप्रथम इसकी स्थापना ४ जुलाई, सन् १९६६ को हुई थी।
अध्यक्ष परिषद का प्रमुख होता है जिसे राज्यसभा के सभापति, लोकसभा अघ्यक्ष और प्रेस परिषद के सदस्यों में चुना गया एक व्यक्ति मिलकर नामजद करते हैं। परिषद के अघिकांश सदस्य पत्रकार बिरादरी से होते हैं लेकिन इनमें से तीन सदस्य विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, बार कांउसिल आफ इंडिया और साहित्य अकादमी से जुड़े होते हैं तथा पांच सदस्य राज्यसभा व लोकसभा से नामजद किए जाते हैं - राज्य सभा से दो और लोकसभा से तीन।
प्रेस परिषद, प्रेस से प्राप्त या प्रेस के विरूद्ध प्राप्त शिकायतों पर विचार करती है। परिषद को सरकार सहित किसी समाचारपत्र, समाचार एजेंसी, सम्पादक या पत्रकार को चेतावनी दे सकती है या भर्त्सना कर सकती है या निंदा कर सकती है या किसी सम्पादक या पत्रकार के आचरण को गलत ठहरा सकती है। परिषद के निर्णय को किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
काफी मात्रा में सरकार से घन प्राप्त करने के बावजूद इस परिषद को काम करने की पूरी स्वतंत्रता है तथा इसके संविघिक दायित्वों के निर्वहन पर सरकार का किसी भी प्रकार का नियंत्रण नहीं है।

इतिहास

सन् १९५४ में प्रथम प्रेस आयोग ने प्रेस परिषद् की स्थापना की अनुशंशा की।
पहली बार ४ जुलाई, सन् १९६६ को स्थापित
सन् ०१ जनवरी, १९७६ को आन्तरिक आपातकाल के समय भंग
सन् १९७८ में नया प्रेस परिषद अधिनियम लागू
सन् १९७९ में नए सिरे से स्थापित

प्रेस परिषद् अधिनियम, १९७८

प्रेस परिषद् की शक्तियाँ निम्नानुसार अधिनियम की धारा 14 और 15 में दी गई हैं ।
परिषद् की निधि
अधिनियम में दिया गया है कि परि¬षद, अधिनियम में अंतर्गत अपने कार्य करने के उद्देश्य से, पंजीकृत समाचारत्रों और समाचार एजेंसियों से निर्दि¬ट दरों पर उद्ग्रहण शुल्क ले सकती है। इसके अतिरिक्त, केन्द्रीय सरकार, द्वारा परिषद् को अपने कार्य करने के लिये, इसे धन, जैसाकि केन्द्रीय सरकार आवश्यक समझे, देने का व्यादेश दिया गया है।

परिषद् की शक्तियाँ


  • परिनिंदा करने की शक्ति: जहाँ परिषद् को, उससे किए गए परिवाद के प्राप्त होने पर या अन्यथा, यह विश्वास करने का कारण हो कि किसी समाचारपत्र या सामाचार एजेंसी ने पत्रकारिक सदाचार या लोक-रूचि के स्तर का अतिवर्तन किया है या किसी सम्पादक या श्रमजीवी पत्रकार ने कोई वृत्तिक अवचार किया है, वहां परिषद् सम्बद्ध समाचारत्र या समाचार एजेंसी, सम्पादक या पत्रकार को सुनवाई का अवसर देने के पश्चात उस रीति से जाँच कर सकेगी जो इस अधिनियम के अधीन बनाए गये विनियमों द्वारा उपबन्धित हो और यदि उसका समाधान हो जाता है कि ऐसा करना आवश्यक है तो वह ऐसे कारणों से जो लेखवद्ध किये जायेंगे, यथास्थिति उस समाचारपत्र, समाचार एजेंसी, सम्पादक या पत्रकार को चेतावनी दे सकेगी, उसकी भर्त्सना कर सकेगी या उसकी परिनिंदा कर सकेगी या उस संपादक या पत्रकार के आचरण का अनुमोदन कर सकेगी, परंतु यदि अध्यक्ष की राम में जाँच करने के लिए कोई पर्याप्त आधार नहीं है तो परिषद् किसी परिवाद का संज्ञान नहीं कर सकेगी।
  • यदि परिषद् की यह राय है कि लोकहित् में ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है तो वह किसी समाचारपत्र से यह अपेक्षा कर सकेगी कि वह समाचारपत्र या समाचार एजेंसी, संपादक या उसमें कार्य करने वाले पत्रकार के विरूद्ध इस धारा के अधीन किसी जाँच से संबंधित किन्हीं विशि¬टयों को, जिनके अंतर्गत उस समाचारपत्र, समाचार एजेंसी, सम्पादक या पत्रकार का नाम भी है उसमें ऐसी नीति से जैसा परिषद् ठीक समझे प्रकाशित करे।
  • उपधारा 1, की किसी भी बात से यह नहीं समझा जायेगा कि वह परिषद् को किसी ऐसे मामले में जाँच करने की शक्ति प्रदान करती है जिसके बारे में कोई कार्रवाई किसी न्यायालय में लम्बित हो।
  • यथास्थिति उपधारा 1, या उपधारा 2, के अधीन परिषद् का विनिश्चय अंतिम होगा और उसे किसी भी न्यायालय में प्रश्नगत नहीं किया जायेगा।

परिषद् की साधारण शक्तियाँ

इस अधिनियम के अधीन अपने कृत्यों के पालन या कोई जाँच करने के प्रयोजन के लिए परिषद् को निम्नलिखित बातों के बारे में संपूर्ण भारत में वे ही शक्तियाँ होंगी जो वाद का विचारण करते समय
1908 का 5, सिविल न्यायालय में सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के अधीन निहित हैं, अर्थात-

  • क, व्यक्तियों को समन करना और हाजिर कराना तथा उनकी शपथ पर परीक्षा करना,
  • ख, दस्तावेजों का प्रकटीकरण और उनका निरीक्षण,
  • ग, साक्ष्य का शपथ कर लिया जाना,
  • घ, किसी न्यायालय का कार्यालय से किसी लोक अभिलेख या उसकी प्रतिलिपियों की अध्यपेक्षा करना,
  • ड़, साक्षियों का दस्तावेज की परीक्षा के लिए कमीशन निकालना,
  • च, कोई अन्य विषय जो विहित जाए।


  1. उपधारा 1, की कोई बात किसी समाचारपत्र, समाचार एजेंसी, संपादक या पत्रकार को उस समाचारपत्र द्वारा प्रकाशित या उस समाचार एजेंसी, संपादक या पत्रकार द्वारा प्राप्त रिपोर्ट किये गये किसी समाचार या सूचना का स्रोत प्रकट करने के लिए विवश करने वाली नहीं समझी जायेगी।
  2. परिषद् द्वारा की गयी प्रत्येक जाँच भारतीय दंड संहिता की धारा 193 और 228 के अर्थ में न्यायिक कार्यवाही समझी जायेगी।
  3. यदि परिषद् अपने उद्देश्यों को क्रियान्वित करने के प्रयोजन के लिए या अधिानियम के अधीन अपने कृत्यों का पालन करने के लिए आवश्यक समझती है तो वह अपने किसी विनिश्चय में या रिपोर्ट में किसी प्राधिकरण के, जिसके अन्तर्गत सरकार भी है, आचरण के संबंध में ऐसा मत प्रकट कर सकेगी जो वह ठीक समझे। शिक्षाविदों की विशि¬ट मंडली द्वारा संवारा गया है। उच्चतम न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश न्यायामूर्ति श्री जे. आर. मधोलकर, पहले अध्यक्ष थे जिन्होंने 16 नवंबर, 1966 से 1 मार्च, 1968 तक परिषद् की अध्यक्षता की। इसके पश्चात न्यायामूर्ति श्री एन. राजगोपाला अय्यनगर 4 मई, 1968 से 1 जनवरी, 1976 तक, न्यायामूर्ति श्री एन. एन. ग्रोवर 3 अप्रैल, 1979 से 9 अक्टूबर, 1985 तक, न्यायामूर्ति श्री एन. एन. सेन 10 अक्टूबर, 1985 से 18 जनवरी, 1989 तक और न्यायामूर्ति श्री आर. एस. सरकारिया 19 जनवरी, 1989 से 24 जुलाई, 1995 तक और श्री पी. बी. सार्वेत 24 जुलाई, 1995 से अब तक परिषद् के अध्यक्ष रहे हैं। ये उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश थे। इन सभी ने परिषद् के दर्शन और कार्यों में गहन वचनवद्धता के साथ, परिषद् का मार्गदर्शन किया। परिषद् इनसे निर्देश पाकर, इनके ज्ञान और बुद्धि से अत्यधिक लाभान्वित हुई।